Dreaming is irresistible
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October 25, 2010
ख़्वाब से सुकून (Khwab Se Sukoon)
ख़्वाब ये मेरा है, जिस तरह चाहूं देखूं ;
मेरे इर्द-गिर्द ही सब होता है,
मैं ही इसकी कहानी, इसका सार हूँ |
इब्तिदा भी मैं, अंत भी मुझसे ही |
हकीक़त के छींटों से मुझको न जगाओ,
सपने में तो मुझको चैन से रहने दो |
2 comments:
Anonymous said...
This is a nice one.
July 24, 2011 at 9:22 PM
Anuradha Exwaized
said...
Thanks, Mayank!
October 2, 2011 at 7:08 PM
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2 comments:
This is a nice one.
Thanks, Mayank!
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