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September 30, 2008

Not letting dreams die...

सपने भी कभी चुभते हैं आंखों में?
ऐसा सुना तो नही था पहले कभी.
क्यों उसकी आंखों से खून रिसता है फिर?
टूटे सपनो ने खरोचा है शायद.

सुकून अगर सपनो के ख़त्म होने पर नही,
तो क्यों नही करें एक बार फिर कोशिश?
हिम्मत हार कर तो होंगे हताश ही,
हिम्मत को आज़मा कर ही देखा जाय.

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